The Basic Principles Of sidh kunjika
The Basic Principles Of sidh kunjika
Blog Article
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
इस पाठ के करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.
She that has the form from the audio hoom she that has audio just like a thunderbolt Oh Goddess of The great, salutations and salutations for you.
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा बॉलीवुड
On chanting in general, Swamiji states, “The greater we recite, the greater we listen, and the greater we attune ourselves into the vibration of what is getting claimed, then the more We'll inculcate that Frame of mind. Our intention amplifies the Angle.”
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे सिद्ध कुंजिका more info स्तोत्र